ghumantu
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मैँ जब भी नुसरत फतेह अली खाँन को गाते सुनता था तो ये लगता था की सुफी घराने मेँ फिर से ऐसी जादुई आवाज मिलना असँभव है। पर आज मैने पाकिस्तान के लोकगायक सईन जहुर को सुफियाना धुन गाते सुना अब लग रहा है की सुफी घराने मेँ अभी भी एक से बढकर एक जादुई आवाज है। जहुर के आवाज मेँ ऐसा जादु है की गाना बन्द होते ही ऐसा लगता है की ईश्वर से स्थापित सीधा सम्पर्क टुट गया हो और फिर से सुनने की कभी न खत्म होने वाली इच्छा होती है। बाद मेँ पता चला की जहुर साहेब अनपढ. है पर यादाश्त इतनी तेज की पँजाबी लोकशैली के पुराने से पुराने, अतिदुर्लभ गीत उन्हे याद हैँ।वे पँजाबी लोकगीतो के चलते फिरते पुस्तकालय है।साथ ही ये भी ज्ञात हुआ की बाकि दुनिया के लिये अनजान इन महाशय को BBC के तरफ से दुनिया की श्रेष्ठ आवाज का खिताब भी प्राप्त है
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