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आज मुझे बहुत ही विचित्र परन्तु रोचक जानकारी मिली। बाबर जब अवध प्रान्त मेँ आया तो वह 2 अप्रैल 1528 ई. को अयोध्या गया और सितम्बर के मध्य तक वहाँ रहा, फिर उसके दिमाग मेँ आया की क्यो न यहाँ पर स्थित मन्दिर को तोङकर एक मस्जिद बनवायी जाय।इसके लिये उसने मन्दिर तोङने का निश्चय किया पर हिन्दुओ के तीव्र विरोध के कारण युद्ध शुरु हो गया यह युद्ध 1530 ई. तक चला जिसमेँ 100000 से भी ज्यादा हिन्दु योद्धा मारे गये। और अन्त मेँ बाबर ने अपने पुरुषमित्र बाबरी (जैसा बाबरनामा मेँ खुद बाबर ने लिखा है) के नाम पर मस्जिद बनवाया। पर घटना का सबसे दुखद पहलु ये रहा की इन मारे गये हिन्दुओ के परिवार को जबरन मुस्लिम बना लिया गया जिसके वजह से आसपास के क्षेत्र जो आजकल फैजाबाद, अकबरपुर, सुल्तानपुर, आजमगढ. के नाम से जाना जाता है वहा पर कृत्रिमरुप से मुस्लिम आबादी बढ. गयी। कितनी विडँबना की बात है की जिन हिन्दु पुर्वजो ने अपनी जान देकर मन्दिर बचाने की कोशिश की उन्ही की पुस्ते आज मुस्लिम बनकर बाबर का गुणगान कर रही है और राममन्दिर का विरोध।
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