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टीम अन्ना की अस्पष्टता

ghumantu
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अन्ना हजारे की टीम जिस तरह से बार बार अपने बयान देती है फिर पलट जाती है उससे उनका नुकसान हो न हो पर आम आदमी जो की इस भ्रस्ताचार की लड़ाई में उनका साथ दे रहा था वो जरुर ही परेसान हो रहा है । टीम अन्ना के सदस्यों को इस बात की चिंता कम दिख रही है की देश में लोकपाल कानून आये न आये परउनका पूरा उर्जा इस बात पर लग रहा है की कही गलती से किसी भी तरह इस आन्दोलन का श्रेय बाबा रामदेव या आर एस एस को न चला जाये।टीम अन्ना और बाबा रामदेव का तुलनात्मक अध्ययन करे तो निम्न बाते समझ में आती है जो कुल मिला कर अब तक बाबा रामदेव को ज्यादा विश्वसनीय साबित करती है।बाबा रामदेव मे जो स्पष्टवादिता और लक्ष्य के प्रति दृढता है वो टीम अन्ना मेँ नजर नही आती। टीम अन्ना कभी नेताओ का विरोध करती हैतो फिर उन्ही को अपने मँच पर आमँत्रित करती है,कभी काग्रेस का विरोध करने की हिम्मत दिखाती है तो कभी डर जाती है,कभी आर एस एस के लोगो को अपने भीङ मे स्वीकार करतेहै तो कभी उसका विरोध करती है,कभी रामदेव से सफाई माँगती है तो कभी उनको अपना सहयोगी बताती है,कभी चुनाव प्रचार मे उतरने की बात करती है तो कभी मना करती है। टीम अन्ना कई मामलों में पूर्ण रूप से सेकुलरिस्म का दिखावा करती नज़र आती है ।मौलाना शमीं काज़मी के विचार न मिलाने पर भी केवल दिखावा के लिए उन्हें अपने टीम में सामिल कर लिया जबकि उनकी टीम की एक युवा मुस्लिम सदस्य जहाँ एक तरफ कई बार सिमी का सपोर्ट करते हुए दिखी वही दूसरी तरफ आर एस एस को राष्ट्र विरोधी संस्था करार देती हुई टीवी पर आर एस एस से दुरी बनाकर चलने का विचार व्यक्त किया।टीम अन्ना में एक धुर ऐसा है जोकि राष्ट्रवादी विचार का पोषक है जिसका न्रेत्रित्व कुमार विश्वाश कर रहे है वही दूसरी तरफ रात के बामपंथियो (अघोसित) का नेतृत्व अरविन्द केजरीवाल कर रहे है और सबको पता है की बामपंथ किसी काम को करने से ज्यादा उस पर हो हल्ला मचाना ज्यादा पसंद करते है यही कारन है की अरविन्द केजरीवाल जो की इस समय इस टीम के अघोसित नेता है जो शोर तो बहुत मचा रहे है पर समस्या का हल नहीं चाहते है यही बात कुछ दिन पहले डॉक्टर सुब्रमण्यम स्वामी ने भी कही है। आज तक टीम अन्ना हिन्दू धर्मगुरूओ का समर्थन प्राप्त करने की कोई जहमत नहीं उठाई पर न जाने क्या कारन है की इन्हें सही हो या गलत इसकी बिना परवाह किये हमेशा एक मुस्लिम धर्मगुरु की जरुरत महसूस हुई है।बाबा रामदेव के आन्दोलन में इस तरह का कोई नेतृत्व भ्रम नहीं दिखाई देता उनके विचार साफ़ है ।उन्होंने कभी भी किसी राष्ट्रहित के मुद्दे को हिन्दू मुस्लिम संघ संगठन या जाती के खानों में नहीं विभाजित किया उन्होंने मुद्दे के नाम पर सबको आमंत्रित किया जिसके कारन उनके समर्थको में कभी भ्रम की स्थिति पैदा नहीं हुई। ४ जून की रात को जो कुछ मुर्ख कांग्रेस्सियो ने उनके साथ किया उससे उनके समर्थको में उनके लिए और सहानुभूति पैदा हो गयी हलाकि उनके विरोधीओ को मज़ा लेने का मौका जरुर मिल गया की बाबा रामदेव डरपोक है पर ये विरोधो पहले भी उनके साथ नहीं थे और आज भी नहीं है अतः उनके ऊपर कोई फर्क नहीं पढ़ा जबकि टीम अन्ना ने जिसको की परोक्छ रूप में आर एस एस ने भीड़ जुटाने में मदद की थी बार बार उसका विरोध करके व्यर्थ की नाराज़गी मोल ले ली।जबकी बाबा रामदेव बड़े साफगोई से राष्ट्रहित के किसी भी मामले में किसी का भी समर्थन लेने की बात करके राजनितिक रूप से अपने आप का तथाकथित सेकुलर मीडिया से बचाव भी कर लिया और हिन्दू संगठनो को नाराज़ होने का कोई मौका भी नहीं दिया । बाबा रामदेव के विचार आज भी वही है जो साल भर पहले थे।अब टीम अन्ना को भी ये चाहिए की अपना विचार साफ रखे और बार बार बदले नही और विभिन्न सहयोगी जो की उसके आन्दोलन को धार दिए थे उनको पर्याप्त महत्व देना शुरू करे तभी जनता का पुराना विश्वाश फिर से लौटेगा _डॉ. भूपेंद्र

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