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नरेन्द्र मोदी ही क्यों ?

ghumantu
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narendra bhai modee
दंगे करवाने वाले नरेन्द्र मोदी . मुस्लिमो का सबसे बड़ा दुश्मन नरेन्द्र मोदी . मानवता के नाम पर कलंक नरेन्द्र मोदी. तानाशाह स्वाभाव वाले नरेन्द्र मोदी . न जाने क्या क्या उपमा न केवल कांग्रेस ने बल्कि विभिन्न मीडिया चैनलों एवं तथाकथित अमेरिका और पूंजीवाद का विरोध करने वाले परन्तु उसी अमेरिका के फंड से चलने वाले वामपंथी गैर सहायता प्राप्त सरकारी संघठनो ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी को प्रदान कर दी. परन्तु ऐसा क्या है की जैसे जैसे ये प्रायोजित विरोध बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे मोदी की मांग तेजी से आम जनता के बीच बढ़ती जा रही है?
मोदी के ऊपर अभी कुछ दिन पहले ही कांग्रेस और अन्ना हजारे के टीम के छुपे बामपंथी अरविन्द केजरीवाल ने भी भ्रस्टाचार का आरोप लगाया है परन्तु इस आरोप से जितना बदनामी मोदी का नहीं हुआ उतनी बदनामी इन दोनों की हो गयी. आखिर वो कौन से कारण है जो मोदी को जनता के बीच तेजी से लोकप्रिय कर रहे है .
यह एक लम्बा विषय है जिन लोगो को ये लगता है की मोदी ने गुजरात का विकास करके दंगे का कलंक अपने ऊपर से धो दिया और इस कारण अचानक लोकप्रिय नेता बन गए वो वास्तव में तथ्यों से बहुत दूर अटके है . इसके लिए हमें १९८० के दशक में पास जाना पढ़ेगा , जब भारत में कश्मीर में आतकवादी तेजी से बढ़ रहे थे ,उसके बाद तमाम घटनाओ में निर्दोष हिन्दुओ की जान जाती रही किन्तु कोई ऐसा नेता पैदा न हुआ जो दृढ़ता से इन आतंकियो से लड़ा हो .ये घटनाये इतनी तेजी से बढ़ी की परिणाम स्वरुप पूरा कश्मीर हिन्दू विहीन हो गया और हिन्दू अपने ही देश में शरणार्थी बनकर रहने पर मजबूर हुए. इस घटना से हिन्दुओ के अन्दर की यह भावना पुष्ट हुई की मुसलमानों को कितना भी दे दो ये संतुष्ट नहीं होते है , किन्तु इन हिन्दुओ के वापसी के लिए तत्कालीन सरकार द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया फलस्वरूप हिन्दुओ और विभिन्न हिन्दू संघठनो में तीव्र आक्रोश पनपने लगा . परन्तु सत्ता तथाकथित सेकुलरो के हाथ में होने से प्रत्यक्च रूप से कुछ करने में लचर रहे फलस्वरूप मुसलमानों पर अपना गुस्सा उतरने के लिए राम मंदीर आन्दोलन जोर पकढ़ने लगा और १९९२ में मुस्लिम आक्रमण और लूटमार की प्रतीक रही तथाकथित बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया. पहली बार हिन्दुओ को स्वतंत्र भारत में यह एहसास हुआ की वो भी एक होकर अपनी अस्मिता बचा सकते है . इसी कारण हिन्दू मतों का तेजी से ध्रुवीकरण होना शुरू हुआ और तब तक तेजी से चलता रहा जब तक की वो केंद्र में भाजपा के रूप में सत्तासीन नहीं हो गया. ये एक तथ्य है की जहा पर हिन्दुओ को लग जाता है की यदि अब और सेकुलर बने रहे तो उनका अंत निश्चित है वो वहा पर मज़बूरी में ही सही एक हो ही जाते है.एक छोटा सा उदाहरण देना चाहूँगा की अभी हाल ही में उत्तरप्रदेश में निकाय चुनाव संपन्न हुए है जहा कही भी मुस्लिम संख्या में कम थे वहा पर भाजपा मुश्किल से जीत पाई है परन्तु मुरादाबाद और अलीगढ जैसे मुस्लिम बाहुल्य जगहों पर भरी मतों से विजय हासिल की है . पुनः मूल विषय पर आते है , केंद्र में सत्ता पाने पर अटलबिहारी बाजपेयी प्रधान मंत्री के रूप निर्वाचित हुए ,ये सारी दुनिया मानती है की उन्होंने देश का बहुत विकास किया देश की अर्थ व्यवस्था में तेजी लाया विदेशी मुद्रा भण्डार को बढ़ाया परमाणु बम संपन्न देशो में भारत को शामिल कराया . परन्तु फिर भी हार क्यों हुई और जनता के बीच ऐसा सन्देश गया की आजतक भाजपा की वापसी नहीं हो पाई.
कारण ये था की जनता ने भाजपा को इसलिए नहीं चुना था की वो उससे खूब विकास की उम्मीद पली थी बल्कि हिन्दुओ ने इसलिए एक होकर वोट दिया था की ये लोग उसके खोये हुए सम्मान को वापिस दिलाएंगे कश्मीरियो की घर वापसी होगी समान नागरिक संहिता लागु की जाएगी अयोध्या में राम मंदिर के लिए कानून बनाया जायेगा जैसा की मुस्लिमो के शाहबानो मामले में राजीव गाँधी ने किया था. लेकिन बाजपेयी सरकार को भी सेकुलर का रोग लग गया , मदरसा को अनुदान देने लगे ,आडवानी जी जिन्ना की मजार पर चादर चढ़ाने लगे और हिन्दुओ को ये विश्वाश हो गया की ये लोग भी हमारे स्वाभिमान की रच्छा नहीं कर सकते तो इन्ही वोटरों ने इनसे किनारा करना शुरू कर दिया. उसका परिणाम हम देख रहे है की भाजपा की क्या दुर्दशा हुई . लेकिन इसी बीच जागरूक हिन्दुओ को घनघोर अँधेरे में आशा की एक किरण दिखाई दी नरेन्द्र भाई मोदी के रूप में …
जब अयोध्या से शिलापूजन करके लौट रहे कारसेवको को गोधरा में मुस्लिमो ने जलाकर रख कर दिया तो गुजरात में प्रतिक्रिया के स्वरुप दंगा शुरू हो गया यही से मोदी के सफलता की शुरुआत मानी जा सकती है . मोदी के विरोधी जितना तेज तेज चीख कर चिल्लाना शुरू किया की इन दंगो में मोदी का हाथ है मोदी के समर्थको की संख्या बढ़ती चली गयी क्योकि ज्यादातर हिन्दुओ के मन में ये घर कर चूका है की दंगो में हिन्दू ही मरे जाते है क्योकि मुस्लिमो को वोटबैंक समझाने के कारण ज्यादातर सरकारे कही न कही से उनकी मदद ही करती है जैसा की हाल ही में मथुरा में देखने को मिला भी है और बाद में जाँच के नाम पर २०-२५ साल तक मामला लटका दिया जाता है और किसी को कोई सजा नहीं होती है . लेकिन गुजरात के दंगे की तस्वीर उल्टी थी मुस्लिम ज्यादा मरे थे सो इस बात को हिन्दुओ ने मुस्लिमो को मिलने वाली सजा के तौर पर देखा और कही न कही उनका FRUSTATION भी कम हुआ. और देखते ही देखते जिस गुजरात में हर महीने दंगे होते थे वो गुजरात दंगो से दूर विकास के शिखर पर जा बैठा . टाइम्स जैसे पत्रिकाओ ने ‘मोदी मीन्स बिजनेस’ जैसे सम्मान के साथ मोदी क गुणगान करने लगे . लेकिन एक बात यह तय है की मोदी के ऊपर जितने तेजी से दंगे में मुस्लिमो को मारने का आरोप लगेगा उतनी ही तेज़ी से उनके समर्थको की संख्या भी बढ़ेगी . क्योकि आज के समय में जिस तरह से मुस्लिम तुष्टिकरण हो रहा है हिन्दू उतने ही आक्रोशित होते जा रहे है .एक महत्वपूर्ण बात जिसका उल्लेखन करना अतिआवश्यक है वो ये है की जिस तरह से सोशल मीडिया ने समाज अपनी जगह बनायी उसके वजह से बिकाऊ मीडिया की सच्चाई लोग जान जा रहे है और सत्य उनके तक पहुच ही जा रहा है. अतः एन डी टी व़ी, आई बी एन , जी ,स्टार जैसे न्यूज़ चैनल जो की पूरी तरह विदेशी पैसो से चल रहे है और उनका एक ही कार्य है मोदी विरोध करना उनका इफेक्ट फेसबुक जैसे साइटे ख़तम कर दे रही है..
और जो बाते मोदी के अनुकूल माहौल तैयार कर रही है वो ये है की संघ ने बकायदे बयान देकर मोदी का रास्ता साफ़ कर दिया . दूसरी तरफ मोदी के अविवाहित होने की वजह से उनके ऊपर लगाने वाले भ्रस्टाचार के मामले टिक नहीं पाते.. मोदी बेहद दृढ संकल्प व्यक्ति है और जिस चीज को ठान लेते है उसे पूरा करके ही दम लेते है. शायद यही सब कारण है की मोदी हिंदुत्व अस्मिता के पहचान बन चुके है और मोदी का भारत का अगला प्रधानमंत्री बनाना भी तय है..
डॉ. भूपेंद्र
८-७-२०१२

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