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पूरा असाम दंगे में जल रहा है. बोडो आदिवासी अपने ही प्रदेश में शरणार्थी बने हुए है. आज इन बेघर हुए शरणार्थी हुए लोगो की संख्या २५०००० पहुच चुकी है. क्या असाम उसी धारावाहिक की अगली कड़ी तो नहीं है जिसे नेहरू जैसे बेवकुफो ने कश्मीर से शुरू किया था.?? कश्मीर को हिन्दुविहीन करने के बाद अब शायद आसाम भी हिन्दुविहीन हो जायेगा.क्योकि वोट बैंक की राजनीति करने के लिए जिस तरह से कांग्रेस ने सारी लोकलज्जा छोड़ दी जल्द ही वो दिन आएगा की मुस्लिमो को तो वोट का अधिकार तो होगा पर शायद हिन्दुओ को ये अधिकार न बचे.. ये सुनने में अटपटा तो जरुर लग रहा है पर भारत में हरामखोर सेकुलरो की बढ़ती संख्या को देखते हुए कदापि असंभव नहीं है. असाम में कई दिनों से दंगे हो रहे है और अत्यधिक संख्या में वहा के बोडो समुदाय के लोगो को पलायन पर मजबूर होना पढ़ रहा है.. और मजबूर भी किससे हुए बंगलादेशियो से.. इनको लाया कौन और कौन इनसे लाभान्वित हुए इसका जबाब हम सभी जान रहे है.
दंगे के सुरुआती 4 दिनों में लगभग सभी बोडो समुदाय के लोग मारे गए लेकिन न तो प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह का बयान आया जो की वही पर सांसद भी है न तो कांग्रेस का कोई प्रतिनिधि मंडल उनसे मिलने गया पर अब ऐसी खबर है की कल से बोडो लोग मुस्लिमो पर भारी पढ़ रहे है तो अचानक डॉ. मनमोहन सिंह को आसाम की याद आ गयी. उन्होंने राज्य का दौरा करने का निश्चय किया है उधर बंगलादेशी हरामखोरो के मारे जाने से दुखी कांग्रेसी सांसद रहमानी ने पि चिदंबरम से मिलने का फैसला किया है . वहा पर आज भारी संख्या में सेना भेजी गयी है ताकि इन हरामखोर मुस्लिमो की बचाया जा सके.. आज के सारे अखबार नरेन्द्र मोदी की उस बयान से पटे है जो की की 10 साल पहले हुए दंगो पर उन्होंने दिया है पर किसी भी अखबार के पहले पेज पर आसाम में अपने ही लोगो की मारे जाने की खबर स्थान नहीं बना पाया आखिर क्यों ???
रमजान की शुरुआत जिस अंदाज़ में इस बार मुस्लिमो ने मनाया है उसे देखकर ये कहा जा सकता है की उन्हें बहुसंख्यको के प्रति न तो कोई सम्मान है न ही किसी तरह के बदनामी का डर, वैसे और कोई डर तो उन्हें है ही नहीं क्योकि जब तक भारत में सेक्युलर जिंदा रहेंगे तब तक इनके हर गलत काम को भी सही ठहराया जाता रहेगा.. रमजान के पहले ही दिन जिस तरह से बरेली में शिवभक्तो पर हमला किया गया और असाम में बोडो जनजातियो को मारा गया उससे ये स्पस्ट हो जाता है की इन मुस्लिमो का इरादा बिलकुल भी नेक नहीं है .. फेसबुक पर मैंने कम्यूनिस्टो के बारे में कुछ गुस्से में लिखा था जो की आदिवासियों के सबसे बड़े पैरोकार बनते है पर ये भी सेक्युलर के नाम पर चुप्पी साधे है .जो की निम्नवत मै पेस्ट कर रहा हु ..
”कहाँ गायब है माओवादी कम्युनिस्टी कुत्ते .. जब गुजरात में दंगा हुआ तो इन्होने इतना छाती पीटा की उसमे सुजन आ जाने से आज तक ब्लाउज पहन कर घूम रहे है .. पर अब जब असाम के आदिवासी मारे जा रहे है तो इन सालो को आदिवासियों की याद नहीं आ रही है ?? ये अब तक चुप क्यों है?? कही इनकी मुस्लिमो से फटती तो नहीं है.. या फिर दो बाप के औलाद है जो केवल आदिवासिओ को अपने ढाल की तरह इस्तेमाल करने में भरोसा करते है..”
हो सकता है की भाषा खराब हो पर ये दर्द है की आखिर हिन्दुओ की ऐसी क्या गलती है जो की कोई भी साथ देने के लिए तैयार नहीं है?? उधर जब आई बी एन ७ के एडिटर इन चीफ राजदीप सरदेसाई से पूछा गया की मिडिया आखिर क्यों कोई खबर नहीं दिखा रही तो उनका कहना था की १००० लोग मरेंगे तब दिखायेंगे लेकिन जैसे ही मुस्लिम मरना शुरू ही हुए थे की न्यूज आणि शुरू हो गयी.
ममता बनर्जी भी पुरी निर्लाज्ज़ता से इन बंगलादेशियो को प्रोत्साहन देते हुए अपने यहाँ बुला लिया है . उन्हें ये फरक नहीं पढ़ रहा की आदिवासियों की क्या हालत है. पर उन्हें मुल्लो के कष्ट का पूरा अहसास है केवल वोट बैंक के लिए ..
हिन्दुओ के असली दुश्मन मुस्लिम या बंगलादेशी नहीं है बल्कि ये सेक्युलर है.. केंद्र सरकार सेक्युलर , राज्य सरकार सेक्युलर , मीडिया सेक्युलर , कम्युनिस्ट सेक्युलर, सामाजिक कार्यकर्त्ता सेक्युलर … ये सारे सेक्युलरो का एक ही उद्देश्य हिन्दुओ की समाप्ती .. यदि 30 साल और हिन्दू सेक्युलर रह गए तो इनका अंत निश्चित है..
सोचना आपको है की आप किस पाले में है हिन्दुओ को समाप्त करने में लगे सेक्युलरो के साथ या अपने बचेखुचे अस्तित्व को बचने में लगे हिंदुत्ववादियों के साथ ………………………..
डॉ. भूपेंद्र
दिनांक ..२८.०७.२०१२
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