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व्यंग क्यों ? सेक्स पर लिखो न!

ghumantu
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बड़ी समस्या है , देश के बारे में सोचो तो रोज़ रोज़ हो रहे घपले घोटाले को सुनकर अपना ही खून जलता है, यदि न सोचो तो भारतमाता के साथ गद्दारी हो जाएगी .. इससे अच्छा है की इन घोटालो पर चुटकुला बनाकर दिनभर हंस ही लिया जाय.. मज़बूरी की हंसी …
इसमे ”हसी तो फसी” का सिद्धांत काम नहीं करता , यहाँ ”फसी तो हसी” का नया सिद्धांत काम करता है… इसीलिए बुद्धिमान बनकर अपने धैर्य का आत्महत्या करने से अच्छा बकलोल बनकर बकलोली ही कर ली जाय… कभी कभी लोग बीमार होकर पागल नहीं बनते, वे स्थायी पागल न बने इसलिए थोड़े देर के लिए पागल बन जाते है. इसलिए हर पागल को पागल समझना भी कभी कभी पागलपन हो सकता है.. लेकिन हमारा ये महान बुद्धिमान (सभी लोग अपने को बेहद बुद्धिमान ही मानते है चाहे वो इसे व्यक्त करे या न करे ) दिमाग पागल को बुद्धिमान कैसे मान ले , ये भी बड़ी समस्या है ,समस्या की जड़ में अपने आप को बुद्धिमान मानने वाले व्यक्ति की मुर्खता जुडी है . क्योकि स्वयं को बुद्धिमान मानना अहम् को प्रदर्शित करता है. इसलिए सारे स्वयंभू बुद्धिमान जड़ से जड़ ही हैं… तो क्या मैं बकलोली करता हूँ तो मैं वास्तव में बकलोल हूँ?? या फिर खून जलाने से बचना चाह रहा हूँ.?
हसते हसते भी अपनी बात पंहुचा सकता हूँ आप लोगो तक और चिल्ला चिल्ला कर , गरिया कर , उत्तेजित होकर भी.. पर मैं अपनी सुविधा देखकर बकलोली कर रहा हूँ.. की मैं वास्तव में बकलोल हूँ.. ये मेरी समझ के बाहर हैं.. पर चिल्लाने के लिए यदि मै तैयार भी हो गया तो क्या आप सुनेंगे ? हसने के लिए गाव में मदारी आता है जोर जोर से डमरू बजाता गाव वाले जुट जाते हैं.. उस हँसी के बदले कोई एक किलो आटा दे जाता है तो कोई एक किलो दाल ,तो कोई बच्चा लेमनचूस खाने वाले पैसे से काटकर ,जीभ पर लात मारकर एक रूपया भी दे देता है ?? शायद व्यंग लिखने वालो को ये एक किलो आटा , दाल और एक रूपया भी नसीब नहीं , क्योकि व्यंग में केवल हसी कहा है जनाब , साथ में गुस्सा भी तो छिपा है … व्यंग लिखने वाला घोषित हो गया बेवकूफ सेक्स पर लिखने वाला हो गया वैज्ञानिक , भले ही चिकित्सा शास्त्र का ज्ञान शून्य हो पर बनेंगे लव गुरु ही.. . सेक्स पर कितना भी गिरकर लिखो सेक्स एजुकेसन कह दिया जाएगा , पर व्यंग लिखने वाले जरा सा भी गिरे तो बेहूदा कह दिए जायेंगे..लोगो को चाहिए चटपटा ,मस्त , बिना गुस्से की लेखनी… इसीलिए जागरणजंक्शन की साईट पर ज्यादा पठित ब्लॉग में निम्न ब्लॉग शामिल है …
१- लड़की को पटाने का सुपर हिट तरीका
२- सोनू को हुआ टीचर से प्यार
३ – संता की मजेदार शायरी
४ – पप्पू की इंग्लिश
५ – हमबिस्तर होने में जल्दी या देरी
६ – संता का खतरनाक गुस्सा
७ – पत्नी की तीसरी शादी
८ – बरसात में लड़की पटाने के तरीके
९ – पैसे लेकर कराती थी सेक्स – सर्लिन चोपड़ा
इन सब लेखो के बीच परम आदरणीय डॉ. सर्वपल्ली राधा कृष्णन का एक लेख पड़ा है , मुझे तो लग रहा है की ये इतने आदरणीय व्यक्ति को गाली देने के ही समान है ..
जागरण जंक्शन की साईट खोलते ही निम्न ब्लॉग दिखाई दे रहे है …
१ – जिस्मानी रिश्तों के लिए क्या ज्यादा जरूरी – समाज की अनुमति या निजी रजामंदी?
२ – Santa Banta Jokes – संता की गूगल डार्लिंग
३ – बच्चे के आगमन से पहले ही विवाह कर लेना चाहिए !!
४ – Sherlyn Chopra: हमाम में तो सब नंगे हैं!
५ – यू आर माई देसी गर्ल..
६ – Funny Hindi Jokes – ब्यूटी पार्लर की कहानी
७ – 18 Again: कौमार्य महिलाओं का दुश्मन या साथी
यदि ऐसे लेख को ही जागरण जंक्सन प्राथमिकता देना चाहता है तो उसे सभी ब्लोगरो को सूचित कर देना चाहिए की भाई सेक्स पर ही लिखो … बिना मतलब के बकलोली की जरुरत नहीं है.. या फिर हम जैसे लोगो पर प्रतिबन्ध लगा दे .. क्योकि देशहित के मुद्दों को उठाकर हम लोग उसके सेक्स सम्बंधित प्रचार प्रसार में दिक्कत कर रहे हैं.
सौ की सीधी एक बात मेरा मानना ये है की ज्यादा पठित वाले कालम के चक्कर में कुछ लोग ऐसे लेख लिखते है जो की बिलकुल वाहियात होता है .. अतः इस कालम को बंद कर दिया जाय , नहीं तो सेक्स पर लिखने वालो की ऐसी ही बाढ़ आएगी वही दूसरी तरफ जो लेख जागरण की तरफ से पोस्ट किये जाते है उसमे भी दो तिहाई लेखो में केवल सेक्स होता है ..ये सब बंद किया जाय ,देश में पोर्न साइटों की कोई कमी नहीं है जो आप लोग अपनी भी साईट सेक्स को समर्पित कर रहे है .. आप लोगो की भी हालत नवभारत टाईम्स जैसी हो गयी है जिसमे जानवर के सेक्स पर लिख दिया जाय तो भी छप जाय.. नरेन्द्र मोहन जैसे महान पत्रकारों के खून पसीने से इतना आगे बढ़ा है जागरण ग्रुप कम से कम उनके आदर्शो का तो ख़याल रखा जाय , या फिर जागरण वाले ये कह दे की हम तो उनके मरने का इंतज़ार कर रहे थे.. मित्रो आप लोगो की क्या राय है .. आप लोग भी जरुर बताये ..और जागरण जंक्सन के प्रशासको तक ये बात पहुचाये …
डॉ. भूपेंद्र सिंह
४- ०९-२०१२

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