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पूर्व सरसंघचालक श्री कु सी सुदर्शन जी को श्रद्धांजलि..

ghumantu
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक श्री कु सी सुदर्शन जी का आज सुबह ६ बजकर ३० मिनट पर हृदयाघात के कारण देहांत हो गया , आप ८२ वर्ष के थे , आप कल रायपुर में वहा से राज्यसभा सांसद श्री गोपाल व्यास के किताब का विमोचन करने नागपुर से वहा आये थे , उनका १० वर्ष पहले ही हृदयाघात की समस्या से बाईपास सर्ज़री कराई गयी थी.
श्री सुदर्शन जी का जन्म १८ जून १९३१ में मैसूर में हुआ था , आप ९ वर्ष की अवस्था में सन १९४० में बाल स्वयंसेवक के रूप में संघ में प्रवेश लिया और अपनी पढ़ाई जारी रक्खा , आप बहुत ही तेज तर्रार व्यक्ति थे , आप ने उस समय बैचलर ऑफ़ इंजीनयरिंग, टेली कम्युनिकेसन विषय से किया और सम्मान सहित उत्तीर्ण हुए , पर आपके मन में देशभक्ति कूट कूट कर भरी थी अतः आप ने २३ वर्ष की अवस्था में सन १९५४ में पढ़ाई पूरा होते ही घर परिवार छोड़कर आजीवन ब्रह्मचारी रहकर देश सेवा करने का निश्चय किया (जो की संघ में प्रचारक बनाने की शर्त भी होती है) और संघ में प्रचारक बन गए और उसी के साथ हिन्दू समाज के जागरण का काम किया , आप स्वदेशी आन्दोलन के प्रबल समर्थक थे ,सो आपने साथ ही साथ स्वदेशी जागरण का भी काम शुरू किया , और आपके कार्यो से प्रभावित होकर आपको बहुत ही कम उम्र में १९६४ में संघ का प्रांत प्रचारक बना दिया गया , और आपके कंधो पर पुरे मध्य भारत में संघठन विस्तार की जिम्मेवारी डाल दी गयी , जिसे आप ने बखूबी अंजाम दिया , आप ५ वर्ष तक मध्य भारत के प्रांत प्रचारक रहे उसके बाद सन १९६९ में आपको संघ परिवार के सभी संगठनो में उचित सामंजस्य बनाने के लिए सभी पारिवारिक संगठनो का राष्ट्रिय संयोजक बना दिया गया.. उसके बाद सन १९७७ में आपको संगठन की तरफ से पूर्व उत्तर भारत में संगठन का काम काज शुरू करने के लिए भेजा गया वहा पर आप पर भी आप ने अपने कर्मठता से संगठन को खड़ा किया और इस समय डॉ. कृष्ण गोपाल जो की पूर्व उत्तर के प्रचारक है वो संघ सह सर कार्यवाह भी है, और घोर इसाई हिस्सों में अब प्रचारक काम कर रहे है , और ये कहा जा सकता है की आपने वहा पर जो पौधा लगाया था अब बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है.
आपको सन १९७९ में राष्ट्रीय स्तर का दायित्व दिया गया और आपको संगठन का राष्ट्रीय बौधिक प्रमुख बना दिया गया , और उसके बाद से ही आप पुरे संगठन को अपने बुद्धिमता और ज्ञान से सिंचित करते रहे , उसके बाद आप संघ के शारीरिक प्रमुख (फिसिकल एक्सरसाइज़ ,योग , सूर्यनमस्कार इत्यादि ) के रूप में नियुक्त किये गए , ये अपने आप में एक महत्वपूर्ण समिश्रण था की आप को संगठन के शारीरिक और बौधिक दोनों के प्रमुख के तौर पर राष्ट्रिय स्तर की जिम्मेवारी दी गयी , उसके बाद सन १९९० में आपको संघ का सर कार्यवाह बना दिया गया , उस समय रज्जु भैया संघ के सरसंघचालक थे, उनका आपको सदैव सहयोग प्राप्त होता रहा , जब रज्जु भैया का स्वास्थ्य खराब होने लगा तो उन्होंने सर संघचालक की दुनिया की सबसे बड़े संगठन की सबसे बड़ी जिम्मेवारी आपको सौप दी , और आप १० मार्च सन २००० को अपने सबसे गुरुतर दायित्व को स्वीकार किया और आप ९ साल तक २१ मार्च २०१० तक संघ के सर संघचालक बने रहे इस दौरान भारत में भाजपा और अन्य पार्टियों द्वारा समर्थित एन डी ए सत्तासीन भी रहा पर आप स्वदेशी के मुद्दे पर भाजपा की निति के कट्टर विरोधी रहे क्योकि जैसे ही अटल बिहारी बाजपेयी सत्तासीन हुए उन्होंने स्वदेशी आन्दोलन को ठन्डे बस्ते में डाल दिया वही आप ने संगठन में युवा शक्ति को आगे बढाने के लिए भी भाजपा के दोनों बड़े नेताओ से टक्कर ली. और आपके प्रयासों से भाजपा में तमाम उत्साही युवाओ को विभिन्न जिम्मेवारी सौपी गयी.
आप २१ मार्च २०१० में अपने गिरते स्वास्थ्य को देखते हुए अपने आप को जिम्मेवारी से मुक्त कर लिया , और वही निति अपनाते हुए कई बुजुर्गो को दरकिनार कर श्री मोहन भागवत को आपने सर संघचालक चुना , जो की वर्तमान में भी इस जिम्मेवारी को निभा रहे है.
आप ने सर्वप्रथम संगठन में मुस्लिमो की नगण्य भागेदारी को देखते हुए , उनको भी मुख्य राष्ट्रिय धारा में शामिल करने के लिए और उनके अन्दर राष्ट्रीयता का विचार डालने के लिए संघ में एक और पारिवारिक संगठन जोड़ दिया ,जिसे राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के नाम से आज हम जानते है , जो की इस समय संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री इन्द्रेश जी की देख रेख में तेज़ी से फल फूल रहा है , आप हिंदुत्व ,भारतीय इतिहास और इस्लाम के बहुत जानकार थे, लखनऊ में शिया वर्ग के सबसे सम्मानित धर्मगुरु मौलाना कल्बे शादिक आप का अत्यधिक सम्मान करते थे और प्रायः आपको अपना मेहमान बनाकर गर्व महसूस किया करते थे.
आपने अपना सारा जीवन माँ भारती के सेवा करते हुए गुज़ार दिया और अपने लिए किसी पद की इच्छा नहीं की और न ही कभी राजनीति में किसी पद पर गए , आप जैसे महापुरुष बहुत कम ही हुआ करते है जो की अपना पूरा जीवन, अपने घर परिवार को हमेशा के लिए छोड़कर देश सेवा में लग जाते है और उसके बदले कोई इच्छा भी नहीं रखते , आपने आज सुबह अपनी पृथ्वी यात्रा पूरी कर ली, और निश्चित ही आप ने जैसा त्यागमय जीवन जिया है उसे देखते हुए ईश्वर निश्चित रूप से ही आपको अपने आप में स्वीकार करेगा ….. पुरे संघ परिवार को भगवान् इस सदमे से आगे बढ़ने में मदद करे
तन समर्पित , मन समर्पित और ये जीवन समर्पित चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दे…
डॉ भूपेंद्र
१५-०९-२०१२ sudar

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