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हिंदुत्व की कसौटी पर नरेंद्र मोदी का आंकलन

ghumantu
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भारत के प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी का आगमन तमाम लोगो के लिए अलग अलग तरह से हर्ष का विषय रहा परन्तु जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के किसी प्रचारक को लोगों ने प्रधानमंत्री के रूप में देखा तो उनके मन में यह भी आशा आकांक्षा जगी की इस देश में हर तरह से दबाये कुचले जा रहे अपने ही संस्कृति और अपने ही धर्म को एक सही दिशा में सही तरीके से पुरे विश्व में आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी. लोगों की यह आशा और आकांक्षा किसी भी तरह से गलत नहीं है. अतः नरेंद्र मोदी के अब तक के इस छोटे से कार्यकाल में इसका आंकलन करना भी काम महत्त्व का विषय नहीं है की उन्होंने अपने अब तक के कार्यकाल में हिन्दू संस्कृति और हिन्दुओं के अंदर गौरव का भाव बढ़ाने के लिए क्या क्या किया है. कुछ मुद्दे जिनके बिना हिंदुत्व की बात पूरी नहीं ही सकती उस पर चर्च करना अत्यावश्यक है. इन मुद्दु में से इस बार ६ विषयों को मैं बिन्दुवार रखूँगा
१- गाय – गोहत्या पर प्रतिबन्ध हिन्दुओं के लिए एक विशेष मुद्दा रहा है. हालांकि यह एक विवादित विषय भी रहा है. क्युकी भारत जैसे सांस्कृतिक रूप से भव्य देश में कई बार एक ही कानून पुरे देश में नहीं लगाया जा सकता और न ही हिन्दुओं के अनेकता में एकता के सिद्धांत के अनुसार यह ठीक है. भारत की विभिन्न प्रदेशो के कई वनवासी बंधुओं में गाय के प्रति कोई विशेष धार्मिक लगाव नहीं है और गोमांस उनके दैनिक खान पान का हिस्सा रहा है. अतः इन वनवासी लोगों को उन दुराग्रहियों से अलग ही रखना होगा जो की केवल हिन्दुओं के प्रति अपनी दुर्भावना को प्रकट करने के लिए गोमांस खाते है. लेकिन भारत के अधिकांस प्रदेशों में बहुमत का यही मानना है की गोहत्या बंद ही होनी चाहिए. उन स्थानों पर जहा जहा भारतीय जनता पार्टी की सरकार बानी है वहा वहा पर गाय बचाने के लिए कड़े कानून इधर एक वर्ष में बनाये गए हैं. मध्यप्रदेश, गुजरात जैसे प्रदेशों में जहा पहले से ही कठोर कानून बनाये जा चुके थे उनसे इतर महाराष्ट्र और हरियाणा में गायो को बचाने के लिए अत्यधिक कठोर कानून बनाये गए हैं. हालांकि महाराष्ट्र में इसका तीव्र विरोध भी हुआ मगर फिर भी वहा की भाजपानीत सरकार ने अपना स्टैंड नहीं बदल जो की एक सराहनीय कदम ही माना जाएगा और यह भी तारीफ़ का ही विषय है की इन कानूनो के विरोध में खड़े हिन्दू विरोधी ताकतों को जबाब देने के लिए भाजपा ने अल्पसंख्यक मंत्रालय के राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को आगे रक्खा. भारत से हर साल बँगला देश को अवैध तरीके से बीस लाख गायें वध करने के लिए भेजी जाती थी लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल से इस उद्योग पर पूरी तरह से रोक दिया गया है. इन बीस लाख गोहत्याओं के बदौलत बांग्ला देश से ६०० मिलियन डॉलर का व्यापार हो रहा था. इस वर्ष जुलाई तक सीमा सुरक्षा बालों द्वारा अब तक ९०,००० गायों को कसाइयों के हाथो से छुड़ाया जा चूका है.
(अधिक जानकारी के लिए – http://financialexpress.com/article/miscellaneous/narendra-modis-govt-push-to-save-its-cows-starves-bangladesh-of-beef/93988/)
१- गंगा – वाराणसी में जब नरेंद्र मोदी ने चुनाव के समय अपना कदम रक्खा था तो उन्होंने कहा था ” मुझे न किसी ने भेजा है, न मैं यहाँ आया हूँ, मुझे तो माँ गंगा ने बुलाया है.” उसके बाद वाराणसी के जनसभा में भी उन्होंने गंगा को ही अपना मुख्य विषय बनाया. गंगा सभी हिन्दुओं के लिए श्रद्धा का केंद्र हमेशा से ही रही है और रहेंगी भी. सबका अंत उन्ही में है. नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनाते ही गंगा के लिए मिशन मोड में लग गए. गंगा की रक्षा के लिए अलग से मंत्रालय बनाया और गंगा के लिए पदयात्रा कर चुकी और गंगा के विषय में समझ रखने वाली उमा भारती को मंत्री बनाया. नमामि गंगा मिशन की शुरुआत की और आश्चर्यजनक तरीके से जहां १९८५ से २०१४ तक का गंगा सफाई और पुनर्जीवन के लिए किया गया खर्च ४००० करोड़ रुपये थे उसे बढ़ाकर सीधे एक बार में २०००० करोड़ रुपये कर दिया गया. अर्थात गंगा पर खर्च किये जाने वाले औसत बजट में एक बार में ही तीस गुने की वृद्धि कर दी गयी. साथ ही साथ पिछले योजनाओं की असफलता को देखते हुए हवा हवाई काम के बदले हर स्तर पर एक जिम्मेवार व्यक्ति को नियुक्त कर दिया गया है. गंगा पुनर्जीवन के लिए तीन स्तर की कमेटी बनाई गई है, पहली राष्ट्रीय स्तर की जिसके मुखिया केंद्रीय मुख्य सचिव होंगे, दूसरा प्रदेश स्तर की कमेटी जिसके मुखिया प्रदेश के मुख्य सचिव होंगे, और तीसरा ज़िले स्तर की कमेटी जो की जिलाधिकारी के अध्यक्षता में कामकाज देखेगी. इस योजना का अभी अध्ययन काल चल रहा है और सरकार ने कुछ भी सफलता दिखने के लिए २०१७ की अवधि दी है. लेकिन एक बात तो स्पष्ट है की गंगा के लेकर प्रधानमंत्री एकदम गंभीर हैं और गंगा उनके मुख्य विषयो में से एक हैं. बाकी सफलता या असफलता तो अभी भविष्य के गर्भ में है.
(अधिक जानकारी के लिए देखें-http://indiatoday.intoday.in/story/clean-ganga-narendra-modi-pet-project-rs-20000-crore-budget-union-cabinet/1/437814.html)
३- योग- योग/ योगा/ प्राणायाम एक ऐसी भारतीय विधा है जो की पुरे विश्व में निर्विवादित रूप से अपनी श्रेस्ठता का लोहा मनवा रही है. परन्तु इसे अच्छे तरीके से विश्व पटल पर रखकर उसके भारतीय मूल के उत्पत्ति को विश्व में उजागर करने का जो श्रेष्ठ कार्य नरेंद्र मोदी ने किया है उसका वर्णन करने की कोई आवश्यकता नहीं है पर योग के माध्यम से विश्व में भारत को एक अगुआ के रूप में जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी ने स्थापित किया वो काबिलेतारीफ है. संयुक्त राष्ट्र संघ के इतिहास में मोदी के योग प्रस्ताव ने तो नया रिकार्ड ही बना दिया. और दुनिया के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब की किसी कार्यक्रम को १७५ देशों ने स्पांसर किया हो. २१ जून को योग दिवस के रूप में पुरे विश्व में मान्यता दिलवा दी और गर्व का विषय तो यह रहा की अधिकास अरब देशो ने तो २१ जून रमज़ान पड़ जाने के कारण एक सप्ताह पहले ही योग दिवस मना लिया. इस तरह से हिन्दुओं की इस प्राचीन विधा को अखिल विश्व में एक नया सम्मान मिला.
“Yoga is an invaluable gift of India’s ancient tradition. This tradition is 5000 years old. It embodies unity of mind and body; thought and action; restraint and fulfilment; harmony between man and nature; a holistic approach to health and well-being. It is not about exercise but to discover the sense of oneness with yourself, the world and the nature. By changing our lifestyle and creating consciousness, it can help us deal with climate change. Let us work towards adopting an International Yoga Day.”

—Narendra Modi, UN General Assembly
४- भगवा आतंकवाद के झूठे केस पर सरकार का रुख – स्वामी असीमानंद और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर जैसे लोगो को जेल में डालकर वर्षो तक बिना चार्जशीट के भगवा आतंकवाद का ढोल पीटकर अपनी कबर खोदने वाले कांग्रेसियों ने जिस तरह से इन लोगों पर अत्याचार किया और इन्हे बदनाम किया वह हिन्दू समाज को निश्चित ही उद्वेलित किया और राहुल गांधी जैसे बेवकूफ नेताओं ने तो अमेरिका के राजदूतों तक से इस ढोल को पीट कर पुरे विश्व में बेवजह ही हिन्दू समाज को अपमानित किया. नरेंद्र मोदी की सरकार बनाने के बाद लोगो यह अपेक्षा थी की इन लोगों को जल्द ही जेल से बाहर किया जाएगा. परन्तु यह नहीं हो पाया परन्तु नाराज़ होने की अपेक्षा यह सोचना पड़ेगा की इस देश की न्यायिक प्रक्रिया जिस रफ़्तार से चलती है ऐसे मामलो में बहुत तेज़ कुछ कर पाना असंभव है. लेकिन सुखद बात यह है की स्वामी असीमानंद को अगस्त में जमानत मिलाने के बाद नेशनल इंवेस्टिगेटिंग एजेंसी (NIA ) ने उनके जमानत का न तो विरोध किया और न ही उन्हें बेवजह बिना चार्जशीट के फिर से जेल में डालने के लिए कोई नया पेटिंसन फाइल किया है और वही साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के मामले में जांच को नेशनल इंवेस्टिगेटिंग एजेंसी (NIA ) ने पूरा करने के बाद यह कह दिया की आगे से जांच स्थानीय पुलिस (मध्य प्रदेश पुलिस) करेगी. उसे इस मामले ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है जिसका आतंकवाद से कोई लेना देना हो. आशा है की जल्द ही इस मामले में कुछ और सुखद परिणाम देखने को मिले.
(अधिक जानकारी के लिए – http://timesofindia.indiatimes.com/india/Samjhauta-blast-NIA-not-to-challenge-conditional-bail-to-Swami-Aseemanand/articleshow/48437047.cms , http://thewire.in/2015/07/05/taking-u-turn-in-hindutva-terror-probe-nia-shifted-sunil-joshi-murder-case-back-to-mp-5563/ )
५ – कैलाश मानसरोवर – कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए जिस तरह का कठिन राश्ता था उसे देखते हुए तमाम भक्त वहा तक पहुंच ही नहीं पाते थे, उत्तराँचल के लिपुलेख पास के आलावा कोई और रास्ता न हो पाने से इस कठिनतम रास्ते से जाना विशेष रूप से महिलाओं और बुजुर्गो के लिए असंभव ही था परन्तु नाथुला दर्रे से चीन के माध्यम से नया रास्ता खोलवाना नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया एक सराहनीय कार्य है. चीन जैसे देश इस तरह की मांगे मनवाना एक असंभव सा ही कार्य था परन्तु यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हिंदुत्व के प्रति प्रेम ही माना जाएगा जो की उन्होंने कर दिखाया. इसी के साथ यह भी बताना आवश्यक हो जाता है की कुछ इसी तरह प्रधानमंत्री ने सीधे वैष्णो देवी तक ट्रैन की सुविधा देकर सभी हिन्दुओं को माँ वैष्णो के धाम पहुचने के रास्ते को आसान कर दिया है.
६- विदेश में हिंदुत्व – नरेंद्र मोदी की विदेश नीति में हिंदुत्व सामान्य रूप से ही दिखाई दे जाता है. नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर में उन्होंने न केवल दर्शन किया बल्कि सहायता भी
दिया. श्रीलंका यात्रा में रामायण ट्रेल बनाने के लिए वहा की सरकार को राजी किया. अरब में पहली बार अबुधाबी में मंदिर बनाने के लिए वहा की सरकार से अनुमति प्राप्त की. जापान के सम्राट से लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति तक को श्रीमद्भगवतगीता भेट में दिया. कनाडा के प्रधानमंत्री के साथ वहा पर गुरुद्वारा में उन्हें लेकर मत्था टेकने चले गए. इस तरह के बाते मोदी के दौरे में देखने को जरूर मिल जाती है जहा प्रतीक के रूप में मोदी या तो हिंदुत्व का कुछ दे आते हैं या वहा पर हिंदुत्व के लिए कुछ कर आते हैं.

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